युद्ध (Yuddh)

दिन, पहले जैसे कई, पेड़ हिलते, पत्ते झड़ते, सपने झुक जाते, भीड़ की मर्ज़ी के आगे; क़ीमत बस एक।
दृष्टि तंग, सत्य से अंधे, ठहराव में, मृत्यु का राज, सपने मिटते, एक-एक करके।
सपना नहीं, एक दर्शन, भविष्य में अब कुछ नहीं, पर केवल एक, हर किसी का अपना, और साथ मिलकर एक।
अंतिम विचार...
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